“स्नेहा को खुद का जीवन एक बोझ लगता था। खुद की ज़िन्दगी की परेशानियां बड़ी लगती थीं। लेकिन ये बिन बाप की लड़की, बचपन से लेकर जवानी तक, केवल संघर्ष! कहते हैं, अपनी परेशानियां बड़ी लगें तो दूसरों के साथ उनकी तुलना कर लो। अगर कहा जाये कि किसी से अपनी परेशानियां एक्सचेंज कर लो तो तुम्हें इच्छा भी न होगी। दूसरों के आगे छोटी लगने लगेंगी अपनी परेशानियां। गौरगोपाल दास ने कहा है न, ज़िन्दगी किसी को नहीं छोड़ती।”
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