तू नहीं नरम, तू नहीं अबल
जो नहीं तेरा या तेरे लिए उसे बदल
दरवाजे बंद नहीं तेरे, विकल्प खत्म नहीं तेरे
तू तप जा इतनी कि धधक उठे सकंल्प तरेे
तू क्या थी, तू कौन है?
क्यों इतनी गमु तू क्यों मौन है
मैं नहीं कह रही भिड़, झगड़ ले
लेकिन छीनता हो स्वत्व कोई तो तू भी निपट ले
zhppko